तरबूज व खरबूज की वैज्ञानिक खेती के लिए 5 सुझाव

वैज्ञानिक खेती से तरबूज व खरबूज की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है. गर्मियां आते ही लोगों को तरबूज व खरबूजे का इंतजार रहता है। मीठे लजीज तरबूज व खरबूज अपने स्वाद व अमृत के समान गर्मी से राहत प्रदान करने वाले इन फलों की डिमांड गर्मियों में बढ़ जाती है।

तरबूज व खरबूज की वैज्ञानिक खेती के लिए सुझाव

इन दोनों फसलों को फरवरी मार्च के महीने में सीधी बीज के द्वारा बिजाई करके या इस की पौध तैयार करने के बाद इनकी रोपाई की जाती है। फसलों को स्वस्थ एंव अधिक उत्पादन के लिए डॉ . सुरेश कुमार अरोड़ा, सब्जी सलाहकार महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय करनाल ने बताया कि खरबूज व तरबूज की खेती के बारे में किसानों को वैज्ञानिक जानकारियों का पता होना बहुत जरूरी है। वे इस विधि से खेती कर अच्छी फसल उगा सकते हैं।

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डॉ . सुरेश अरोड़ा ने वैज्ञानिक खेती के ये सुझाव दिए

1 . खरबूजे की शंकर प्रजातियां: बॉबी, मृदुला, सोनिया, 81 अप्सरा, बर्फी, मधुराजा, गुरु, माधुरी, कुंदन, माधुरी -2, स्वाति, मुस्कान और कोहिनूर शंकर प्रजातियां हैं, इनके फल मई तक हो जाते हैं।

2. तरबूज की शंकर प्रजातियांः तरबूज की प्रमुख शंकर प्रजातियों में जन्नत, मन्नत, विशाला, आरोही, रेड चीफ, सरस्वती सरायु, कोयाना आदि हैं। जोकि खाने में बहुत ही मीठा होता है।

3 . बिजाई का समय और खेत की तैयारीः दोनों फसलों को फरवरी मार्च के महीने में सीधी बिजाई करके ऊपर उठे बेड़ों पर जिनकी चौड़ाई 2 मीटर और लंबाई 3 मीटर होती है। नाली के सिरे पर बीज की बुवाई की जाती है।

4 . पौधों की देखभालः बुवाई के 5 से 7 दिन बाद अंकुरण शुरू हो जाता है। जिन भूमियों में जैविक खादों का प्रयोग होता है वहां पर बीज जल्दी अंकुरित होते हैं।

5 . बढ़ोतरी व अधिक फल बनने में सहायकः फूलों की संख्या में बढ़ोतरी लाने के लिए मल्टीप्लेक्स समरस नामक पौध स्टीमूलेंट का छिड़काव करें।

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