एरोपॉनिक फार्मिंग के माध्यम से आलू खाने के लिए आपको जमीन और मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है। हरियाणा के आलू प्रौद्योगिकी केंद्र ने एरोपॉनिक फार्मिंग तकनीक को डेवलप किया।
भारत देश की बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए यह अनुमान लगाया ना जा सकता है कि, आने वाले वर्षों में भोजन उपलब्ध करा पाना भी एक चिंता का विषय बना हुआ है। इसके साथ ही कृषि क्षेत्र लगातार कम होता जा रहा है।
हवा में आलू को उगाये
इसको देखते हुए वैज्ञानिक अलग-अलग तरह के प्रयास भी करते हुए नजर आ रहे हैं। इसी तरह से अब हवा में आलू को उगाने की तकनीक भी बना ली गई है। आपको बता दे की, एरोपॉनिक फार्मिंग तकनीक का उपयोग करके आप आलू की खेती को हवा में भी कर सकते हैं। सरकार ने इस तकनीक के इस्तेमाल को भी मंजूरी दे दि. इसका आविष्कार करनाल के आलू प्रौद्योगिकी केंद्र द्वारा किया गया है।
सरकार ने दी मंजूरी
इस तकनीक का उपयोग करने के लिए सरकार द्वारा भी मंजूरी दे दी गई है। साथ इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि, आप इसमें कम जगह में ही 10 गुना अधिक आलू उत्पादन कर सकते हैं। किसान इस तकनीक से कम लागत में आलू की ज्यादा फसल उगाकर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। एरोपॉनिक तकनीक में लटकती हुई जड़ों के जरिए न्यूट्रीएंट्स दिए जाएंगें। इसकी मदद से कृषि संस्थान आलू के स्वस्थ और अच्छे बीज भी जमा करता है।
क्या है “एरोपॉनिक फार्मिंग” तकनीक
आपको बता दे की यह एक ऐसी तकनीक है, जिसमे मिट्टी के बिना हवा में पौधे उगाए जाते हैं। इस तकनीक की मदद से लटकती हुई जड़ों के माध्यम से पौधे को पोषण दिया जाता है। ऐरोपोनिक तकनीक में पोषक तत्वों को धुंध के रूप में जड़ों पर स्प्रे करा जाता है।
आलू के पौधे के ऊपरी भाग को खुली हवा और रोशनी में रखा जाता है। इस तरह से पौधे को पूरा पोषण मिल जाता है और वह बड़ा होने लगता है। एयरोपोनिक्स से आलू की पहली फसल उगने पर 70 से 80 दिन लगते हैं। लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें जगह की ज्यादा जरूरत नहीं होती है और उत्पादन भी अधिक होता है।
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