कई किसानों को फसल बीमा का क्लेम करने के बारे में ज्यादा अधिक जानकारियां नहीं होती है। बैंकों से कर्ज लेने वाले किसान समिति के खाताधारी कई किसानों को फसल बीमा के बारे में कई बार बैंकों के चक्कर लगाने पड़ते हैं और उन्हें ज्यादा नियमों के बारे में भी पता नहीं होता है।
फसल बिमा क्लेम
इसके साथ ही बैंक से कर्ज लेने और खाद लेने पर बीमा कराया जाना भी अनिवार्य रहता है, इसकी भी जानकारी कई बार नहीं होती है। इसमें कई बार कर्ज की राशि के साथ ही अपने आप ही इस राशि को भी जोड़ दिया जाता है और किसानों को पता नहीं होता है। उन्हें कई बार अपने द्वारा ली गई राशि का पता नहीं चलता है कि, किस योजना के तहत ली गई है।
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प्राकृतिक आपदा में करे क्लेम
कई बार प्राकृतिक आपदा के समय किसानों को क्लेम देना तो दूर उनकी फसलों का सर्वे तक नहीं कराया जाता है, जैसे तैसे किसान आग्रह कर सर्वे करने की कोशिश करते हैं तो, फसल का बीमा क्लेम नहीं मिल पाता है। लेकिन ऐसे में आपको बता दें की किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए जब बैंक से कर्ज लेता है तो, बैंक उसे फसल का बीमा भी करती है और इसके लिए उन्हें क्लेम दिया जाता है। इसके तहत 2 से 3 हजार रूपए प्रति हेक्टेयर तक फसल का बीमा भी जोड़ा जाता है जो कि, खराब होने पर फसल के बीमा का क्लेम के रूप में दिया जाता है।
इस तरह से होता है सर्वे
फसल के बीमा का क्लेम पाने के लिए सरकार ग्राम पंचायत को इकाई मानकर सरकार पिछले 5 सालों में दो सीजन रबी, खरीफ मिलाकर कुल पैदावार का एवरेज निकालकर नुकसान का आकलन करती है। वह लगातार 5 वर्षों तक नुकसान का एवरेज आने पर उसे रिपोर्ट संबंधित बैंकों को भेजी जाती है, जिसके माध्यम से आसानी से किसान क्लेम प्राप्त कर सकता है। बैंक बीमा कंपनी को नोटिस देकर क्लेम के लिए अवगत कराते हैं, बीमा कंपनी अपनी टीम भेज कर नुकसान का फिर से एक बार आकलन करती है और किसानों को प्रेम देने की कार्यवाही की जाती है।