नमस्कार किसान साथियों, जीरे में तूफानी तेजी के बाद जीरा विदेशी निर्यात मांग में बड़ी गिरावट आना तय लग रहा है, क्योंकि गत वर्ष जीरे की बोवनी कम हुई थी इस वर्ष बोवनी गत वर्ष से कुछ अधिक हुई थी. मार्च-2023 से बेमौसम वर्षा ने फसल को कुछ मात्रा में खराब किया है और सटोरिए सक्रिय हो गए।
यह तय है कि इस वर्ष जीरा विदेशी निर्यात मांग भी घटेगा और घरेलू खपत भी। जीरे के अनेक विकल्प और मिलावट तो बढ़ना ही है। जीरे की आवक 22-23 हजार बोरी की रही। वायदा कारोबार वाले बाजार को खींचे ही जा रहे हैं। सौंफ के भावों में कुछ मात्रा में गिरावट आई है। जीरा 6500 से 6800 ऊपर में 7000 सौंफ 2300 से 5800 रुपए ( 20 किलो ) के भाव बताए गए।
लोकल बाजार में मांग ठंडी पड़ गई है। भाव भी धीमी गति से बढ़ रहे हैं, किंतु ग्राहकी नहीं है इंदौर में 400 से 425 रुपए किलो के भाव बताए गए बेमौसम वर्षा से राजस्थान गुजरात में जीरे की फसल नुकसान होने की आशंका है इसी वजह से जीरा सटोरियों की मजबूत पकड़ में गया है।
आए दिन भावों में तेजी के तूफान उठाए जा रहे हैं मानो जीरे के बिना सब्जियों का स्वाद खराब हो जाएगा । मसालों में जीरे जैसी आयटम विशेष महत्व नहीं रखती है, जिस आयटम में महत्व रखती है, उससे कई गुना अधिक उत्पादन होता।
यह सही है कि तुर्की में भूकंप से फसलों को नुकसान या अन्य कोई तरीके से नुकसान हुआ होगा, किंतु वैश्विक स्थिति सभी जिंसों में एक समान है भाव बढ़ने के बाद निर्यात घट जाया करता है इस वर्ष भारत से निर्यात भी बड़ी मात्रा में घटने की आशंका प्रबल हो गई है। सटोरिए निर्यात के नाम पर तेजी कर रहे हैं।
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