जानें आपको सरसों की उन्नत किस्म की आवश्यकता है, विशेषज्ञों के अनुसार सरसों की उन्नत किस्मों का पूर्ण विश्लेषण. सरसों की ये उन्नत किस्में जो आपकी जिंदगी बदल देंगी. वैसे तो किसान भाई अपने खेत में अच्छी पैदावार वाले भारो को अलग करके उस बीज की सफाई और ग्रेडिंग करके बीज तैयार कर सकते है. बाद में इसके मोटे दानो को अलग करके बीजोपचार करके बोया जा सकता है.
लेकिन जिन किसानो के पास खुद बीज तैयार करने का समय नही है, और वो अपने क्षेत्र और जलवायु पानी की व्यवस्था को देख उन्नत किस्म का चयन करना चाहते है. हमारी पोस्ट के माध्यम से सरसों की उन्नत किस्म के बारे में विस्तृत वर्णन किया गया है.
आइये देखते है सरसों की उन्नत किस्मे और उनकी विशेषता, क्यों सरसों की उन्नत किस्में आज का सबसे बड़ा चलन है, सरसों की उन्नत किस्में कैसे विकसित हुईं –
विशेषज्ञों के अनुसार सरसों की उन्नत किस्म
किसानो को अधिक लाभ अर्जित करने के लिए हमेशा अच्छी किस्मो का चयन करना चाहिए, क्योंकि सरसों में तेल की मात्रा, प्रति हेक्टेयर उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता इत्यादि किस्म पर निर्भर करता है. चलिए जानते है सरसों की प्रमुख उन्नत किस्मे- 2023 की सरसों की सबसे लोकप्रिय उन्नत किस्में-
पूसा बोल्ड :-
पकने की अवधि(दिनों में) – 130 -140
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 20 -25
प्रजाति की विशेषता – फलियाँ मोटी, 42% तेल, कम सिंचाई वाला, राजस्थान, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र क्षेत्रों में उगाई जा सकती हैं|
पूसा सरसों आर एच 30 : –
पकने की अवधि(दिनों में) – 130 -135
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 18 -23
प्रजाति की विशेषता – सिंचित और असिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त, तेल की मात्रा लगभग 39 प्रतिशत, मोयले कीट का कम प्रभाव, हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी राजस्थान क्षेत्रों के लिए सबसे बेहतर
पूसा जय किसान:-
पकने की अवधि(दिनों में) – 125-130
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 25-30
प्रजाति की विशेषता –तेल की मात्रा 42 प्रतिशत
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पूसा मस्टर्ड – 21 :-
पकने की अवधि(दिनों में) – 137-152
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 18-21
प्रजाति की विशेषता –तेल की मात्रा 37 प्रतिशत, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश राज्यों में ज्यादा उपयुक्त
आरजीएन – 73 :-
पकने की अवधि(दिनों में) – 120-140
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 17-22
प्रजाति की विशेषता – फलियाँ पकने पर चटकती नहीं हैं, सिंचित क्षेत्र के लिए उपयुक्त, तेल की मात्रा 40 प्रतिशत, तथा तना सडन के प्रति रोधक क्षमता
राज विजय सरसों-2 :–
पकने की अवधि(दिनों में) – 120-130
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 20-25
प्रजाति की विशेषता – मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के इलाकों के लिए उपयुक्त, तेल की मात्रा 37 से 40 प्रतिशत
पूसा सरसों 27 :–
पकने की अवधि(दिनों में) – 125-140
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 14-16
प्रजाति की विशेषता – अगेती बुवाई के लिए भी उपयुक्त, तेल की मात्रा 38 से 45 प्रतिशत, भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र, पूसा, दिल्ली द्वारा विकसित
पूसा डबल जीरो सरसों 31: –
पकने की अवधि(दिनों में) – 135-140
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 22-25
प्रजाति की विशेषता – तेल की मात्रा 41 प्रतिशत, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर के मैदानी क्षेत्रों में ज़्यादा
RH 725
अनुमोदित वर्ष – 2019
पकने की अवधि(दिनों में) – 136-143
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 25-26
प्रजाति की विशेषता – 40% तेल, कम सिंचाई वाला
RH 749
अनुमोदित वर्ष – 2014
पकने की अवधि(दिनों में) – 139-163
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 24.19-28.26
प्रजाति की विशेषता – 37%-40.5% तेल
पूसा सरसों 27
अनुमोदित वर्ष – 2010
पकने की अवधि(दिनों में) – 118
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 15.35
प्रजाति की विशेषता – 41.7% तेल
सरसों की उन्नत किस्म – पूसा विजय
अनुमोदित वर्ष – 2008
पकने की अवधि(दिनों में) – 145
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 25
प्रजाति की विशेषता – 38.51% तेल, मोटा दाना
सरसों की संकर किस्में
एनआरसीएचबी–506 :-
पकने की अवधि(दिनों में) – 130-140
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 16-25
प्रजाति की विशेषता – तेल कि मात्रा 41 प्रतिशत, सिंचित क्षेत्र के लिए उपयुक्त
डीएमएच–1 :-
पकने की अवधि(दिनों में) – 145-150
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 17-22
प्रजाति की विशेषता – तेल कि मात्रा 39 प्रतिशत, रोग तथा कीटों के प्रति सहनशील
सरसों की उन्नत किस्म -पीएसी–432 :-
पकने की अवधि(दिनों में) – 130 से 135
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 20-22
प्रजाति की विशेषता – तेल कि मात्रा 41 प्रतिशत, मध्य प्रदेश, उत्तर भारत तथा राजस्थान जैसे राज्यों के लिये उपयुक्त
सीएस-54 :-
पकने की अवधि(दिनों में) – 120 से 122
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 16 से 17
प्रजाति की विशेषता – तेल कि मात्रा 40 प्रतिशत, ऊसरता को सहन कर सकती है, कम तापमान में भी अच्छा उत्पादन
नरेंद्र राई–1 :-
पकने की अवधि(दिनों में) – 125 से 130
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 11 से 13
प्रजाति की विशेषता – तेल कि मात्रा 39 प्रतिशत, लवणीयता प्रभावित वाले क्षेत्रों में अच्छा उत्पादन
पीली सरसों सरसों की उन्नत किस्म
पीतांबरी
अनुमोदित वर्ष – 2009
पकने की अवधि(दिनों में) – 110 से 115
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 18 से 20
प्रजाति की विशेषता – तेल की मात्रा 43 प्रतिशत
नरेन्द्र सरसों-2
अनुमोदित वर्ष – 1996
पकने की अवधि(दिनों में) – 125 से 130
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 16 से 20
प्रजाति की विशेषता – तेल की मात्रा 44 से 45 प्रतिशत
K- 88
अनुमोदित वर्ष – 1978
पकने की अवधि(दिनों में) – 125 से 130
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 16 से 18
प्रजाति की विशेषता – तेल की मात्रा 42 से 43 प्रतिशत
क्षारीय क्षेत्रों के लिए सरसों की किस्म
सीएस 54 – सरसों की उन्नत किस्म
पकने की अवधि(दिनों में) – 120 से 130
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 16 से 17
प्रजाति की विशेषता – तेल की मात्रा 40 प्रतिशत
लवणीय क्षेत्रों के लिए सरसों की किस्म
नरेंद्र राई 1 – सरसों की उन्नत किस्म
पकने की अवधि(दिनों में) – 125 से 130
औसत उपज(क्विंटल/हेक्टेयर में) – 11 से 13
प्रजाति की विशेषता – तेल की मात्रा 39 प्रतिशत
अब तक कितनी सरसों की उन्नत किस्म विकसित हुईं
डॉ. एसके पाहुजा (आनुवंशिकी व पौध प्रजनन विभाग के अध्यक्ष) के अनुसार हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय देश में अपना विशेष स्थान रखता है. पाहुजा के अनुसार अब तक कुल 21 किस्मों को विकसित किया गया है. एक सर्वे के अनुसार आरएच 725 सबसे लोकप्रिय सरसों की किस्म है.
क्रप्या ध्यान दें-
सरसों की उन्नत किस्म का चयन करते समय हमेशा अपने क्षेत्र और जलवायु को मध्यनजर जरुर रखे. उत्पादन के चक्कर में किस्म का गलत चयन आपके उत्पादन को कम कर सकता है. सरसों की किस्म का चयन करते समय ऐसी किस्म का चुनाव करना चाहिए जिसकी कीटो के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक रखती हो. सरसों उत्पादन का प्रमुख लक्ष्य तेल की मात्रा होता है, हमेशा चयन करते समय तेल की मात्रा को आवश्यक रूप से देख लेना चाहिए. अन्य फसलो के विस्तृत वर्णन के लिए कमेन्ट में हमें बताये, हम आपके लिए सटिक जानकारी लेकर हाजिर होंगे. धन्यवाद