जाने साप्ताहिक रिपोर्ट सरसों, सोयाबीन, सोया तेल, चना की जानकारी

साप्ताहिक रिपोर्ट: मक्की आवक बढ़ने से मक्की में 200/250 रुपए और घटने के आसार। बिहार में नई मक्की आ चुकी है तथा उत्पादक मंडियों में नए माल का दबाव 2 दिन के अंतराल 20-25 प्रतिशत बढ़ गया है। वहां फसल बढ़िया बता रहे हैं, इसे देखते हुए 300 रुपए प्रति क्विंटल और घटने के आसार बन गए हैं। यद्यपि मक्की की फसल खरीफ एवं रबी दोनों ही सीजन में आती है। तथा दोनों फसलों को मिलाकर सामान्यता 130-131 लाख मैट्रिक टन के करीब उत्पादन होता है। वर्तमान में बिहार में हाइब्रिड मक्की की फसल आ रही है, फसल खगड़िया, बेगूसराय, कुर्सेला, जमालपुर, गुगुड़ी, शिवहर, सुपौल, कटिहार, गुलाब बाग, दरभंगा आदि बिहार के पूर्वोत्तर के जिलों में होती है। इस समय वहां के प्रत्येक मंडी में 25-30 ट्रॉली दैनिक आवक हो रही है, जो नमी के हिसाब से 2175/2200 रुपए प्रति क्विंटल मक्की का व्यापार हो रहा है। वर्तमान में फसल को देखते हुए इस बार 56-57 लाख मैट्रिक टन उत्पादन होने का अनुमान आ रहा है!

गेहूं सरकार ने फरवरी में अपना अनुमान जारी किया था, जिसमें पिछले साल के 107.74 मिलियन टन की तुलना में इस वर्ष के लिए रिकॉर्ड 112.18 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया गया था। एक आटा मिलर ने कहा कि हालांकि सरकार और निजी क्षेत्र दोनों इस बात पर सहमत हैं कि उत्पादन पिछले साल की तुलना में 4-5 मिलियन टन अधिक है, लेकिन दोनों के बीच उत्पादन अनुमानों में 9 मिलियन टन का व्यापक अंतर है। शुक्रवार को दिल्ली में गेहूं की फसल का अनुमान जारी करते हुए, खाद्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव ने कहा कि इस साल गेहूं की कम से कम 10 मिलियन टन अधिक उपलब्धता होगी (निर्यात प्रतिबंध से 5 मिलियन टन और उच्च उत्पादन से 5 मिलियन टन), उन्होंने कहा . कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण 1-2 मिलियन टन के संभावित उत्पादन नुकसान पर निजी और सरकारी दोनों एजेंसियों की राय समान है। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि निजी क्षेत्र भी इस तरह के अध्ययन करने और कुछ आंकड़े पेश करने के लिए आगे आ रहा है। उन्होंने अपनी कार्यप्रणाली साझा की और यह भी बताया कि वह उस आंकड़ों पर कैसे पहुंचे कि अनुमान सही हैं या नहीं, यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा कि ये सर्वे करने वाली एजेंसियां भी अपनी कार्यप्रणाली में सुधार कर सही अनुमान लेकर आएंगी। पहुंचने का प्रयास करेंगे।

सरसों साप्ताहिक रिपोर्ट

सरसों साप्ताहिक रिपोर्ट: पिछला सप्ताह सुरुवात सोमवार जयपुर सरसों 5861 रुपये पर खुला था। ओर शनिवार शाम 5400 रुपये पर बंद हुआ। पिछले सप्ताह के दौरान मांग कमजोर रहनेस-462 रूपए प्रति कुंटल की गिरावट दर्ज हुआ, पिछले साप्ताहिक रिपोर्ट में कृषि बाजार भाव सर्विस ने ऊपरी स्तरों डिमांड कमजोर पड़ने की रिपोर्ट दी जयपुर के चार्ट के अनुसार 6150 का रेजिस्टेंस है। जिसके करीब भाव पहुंच गए थे। साप्ताहिक रिपोर्ट में मुनफावसूली की 6000-6050 के करीब राय दी थी और इस सप्ताह जयपुर सरसो ऊपर में 5925 से पलट गया।

सरसो में गिरावट का कारण

सरसो तेल में 3-4 रुपये/किलो की गिरावट और खल में कमजोर डिमांड के चलते मीलों की मांग घट गयी। मांग घटने और आवक बढ़ने से सरसो की कीमतों में इस सप्ताह सरसो में 125-175 रुपये की गिरावट आयी। मार्च एंडिंग की वजह 27 मार्च से 1 अप्रैल के बीच आवक कमजोर थी। कमजोर आवक और विदेशी बाजारों में मजबूती से भाव इस बीच बढ़ गए थे। 3 अप्रैल से 8 अप्रैल के बीच सरसो की बिकवाली बढ़ी। जिसके चलते मंडियों में आवक बढ़ी। इस सप्ताह सरसो की आवक बढ़कर 10.50 लाख बोरी तक पहुंच गयी थी।

क्या फिर लौटेगी तेजी?

मीलों को सरसो की क्रशिंग में फ़िलहाल डिस्पैरिटी चल रही है। वहीं तेल और खल में भी सिमित तेजी मंदी दिखेगी। सरसो का स्टॉक पर्याप्त है जिससे तेजी सिमित रहेगी। मौजूदा स्तरों से फिर कुछ गिरावट आ सकती है। लेकिन भाव निचले स्तरों से फिर बढ़ेंगे इस सीज़न सरसो में एक तरफ़ा तेजी या मंदी की उम्मीद न करें। जब तक सरकार वायदा कारोबार शुरू नहीं करती और खाद्य तेलों पर ड्यूटी नहीं बढ़ाती तब लम्बी और टिकाऊ तेजी की उम्मीद न करें। जयपुर सरसो में खरीदारी का सही स्तर 5400-5450 का है वहीं 6000-6050 के करीब. मुनफावसूली का स्तर दिख रहा है।

सोयाबीन साप्ताहिक रिपोर्ट

सोयाबीन साप्ताहिक रिपोर्ट: पिछला सप्ताह सुरुवात सोमवार महाराष्ट्र सोलापुर 5600 रुपये पर खुला था ओर शनिवार शाम 5580 रुपये पर बंद हुआ पिछले सप्ताह के दौरान प्लांट बालो की मांग ऊपरी स्तर से कमजोर रहने से -20 रूपये प्रति कुन्टल गिरावट दर्ज हुआ,सोयाबीन सप्ताह के शुरुआत में अच्छी बढ़त के बाद डिमांड अटकने से सोयाबीन के भाव नरम पड़े सीबीओटी सोयाबीन में भी इस सप्ताह 0.88% की गिरावट दर्ज की गयी। महाराष्ट्र कीर्ति प्लांट ऊपर में 5740 तक बढ़ने के बाद अंत में 5540-5580 पर बंद हुआ। कृषि बाजार भाव सर्विस ने 5720 का रेजिस्टेंस बताया था। जिसके ऊपर टिकने में असफल रहा विदेशी बाजारों में कमजोरी और ऊपरी स्तरों पर कमजोर डिमांड से सोयाबीन में दबाव देखने को मिला। सोया तेल की कीमतों में भी इस सप्ताह मुनफावसूली आयी जिसको देख प्लांटों की मांग अटक गयी। अमेरिका में मौसम अनुकूल होने से सोयाबीन की बुवाई समय से पहले शुरू हो सकती है। वहीं ब्राज़ील में भी सोयाबीन की कटाई 80% हो चुकी है। अर्जेंटीना ने सोया डॉलर योजना फिर शुरू करने की घोषणा की है। घरेलू बाजार में सोयामील के भाव इस सप्ताह स्थिर रहे लेकिन अंतराष्ट्रीय बाजार में भाव घटे हैं। अंतराष्ट्रीय बाजार की तुलना में भारतीय सोयमील के भाव ऊँचे होने से तेजी अब सिमित रहेगी पर्याप्त स्टॉक, सिमित डिमांड और विदेशी बाज़ारों की चाल देख सोयाबीन 5300-5750 के बीच रहने का अनुमान। ट्रेडिंग के नजरिये से इस दायरे के निचले स्तरों पर खरीदारी और 5700-5750 के करीब मुनफावसूली करें।

सोया तेल साप्ताहिक रिपोर्ट

सोया तेल: विदेशी बाजारों में मुनफावसूली और हाजिर में कमजोर डिमांड से सोया तेल के भाव इस सप्ताह गिरे। कांडला सोया तेल ऊपर में 1080 तक बढ़ने के बाद घटकर 1050 पर बंद हुआ। कृषि बाजार भाव सर्विस ने कांडला सोया तेल में 1080 का रेजिस्टेंस दिया था जहाँ से मुनफावसूली देखने को मिली। विदेशी बाजारों में सप्ताह शुरुआत में मजबूती के चलते प्लांटों ने 2-3 रुपये/किलो की दर से भाव बढ़ाये थे। भाव बढ़ने के बावजूद सोया तेल में ग्राहकी कमजोर रही जिसके चलते ऊपरी स्तरों से भाव टूटे। मार्च महीने में सोया तेल का आयात 27% घटकर 2.59 लाख टन रह गया। अर्जेंटीना में सोया तेल के भाव घटने से आगे चलके सोया तेल का आयात बढ़ने की उम्मीद है पोर्ट पर सोया तेल का रेडी स्टॉक का भाव फ़िलहाल आयातित तेल से 7-8 रुपये/किलो ऊपर है। रेडी भाव ऊपर होने की वजह से डिमांड पर असर पड़ेगा। सप्लाई डिमांड को देखते हुए सोया तेल में तेजी का ध्यान नहीं। जिनको खरीदारी करनी है उनको कांडला सोया तेल का भाव 1020-1000 के करीब आने दें ट्रेडर्स 1020-1000 के करीब खरीदारी कर 1070-1080 के करीब मुनाफावसूली करें।

पाम तेल साप्ताहिक रिपोर्ट

पाम तेल: पिछली साप्ताहिक रिपोर्ट में कृषि बाजार भाव सर्विस ने केएलसी (जून) अनुबंध के लिए 4000 का लक्ष्य दिया था। केऍलसी (जून) अनुबंध ने इस सप्ताह 3980 के उच्च स्तर को छूआ। जैसा कि पहले सूचित किया गया था 4000 एक रेजिस्टेंस है जहां से हमने केएलसी को फिर से गिरते देखा है। तकनीकी रूप से, केएलसी के लिए तत्काल समर्थन 3720 पर देखा गया। जिसके निचे गिरने पर 3400 एक बड़ा सपोर्ट है। व्यापारियों को नई खरीदारी करने के लिए केएलसी को फ़िलहाल स्थिर होने का इंतजार करना चाहिए।

KCL साप्ताहिक रिपोर्ट

(मार्केट आउटलुक) KLC इस सप्ताह 3980 के उच्च स्तर को छूने के बाद 1% ऊपर बंद हुआ। मलेशिया पॉम ऑयल फंडामेंटल वर्तमान में मजबूत है। क्योंकि निर्यात बढ़ रहा है और उत्पादन अभी भी कमजोर है। मार्च के अंत में मलेशिया में पाम ऑयल स्टॉक आठ महीने के निचले स्तर पर गिरने की उम्मीद है। मार्च में भारत का पाम तेल आयात 28% बढ़कर 7.50 लाख टन हो गया। केएलसी पर दबाव डालने वाला प्रमुख कारक सोया, सन ऑयल और सरसों के तेल जैसे तेलों का सस्ता होना है। रमजान खत्म होने के बाद मलेशिया और इंडोनेशिया में पाम तेल का उत्पादन बढ़ेगा। क्योंकि लेबर की उपलब्धतट बढ़ेगी। मई माह पाम ऑयल एफओबी मौजूदा महीने के मुकाबले 25 डॉलर सस्ता है। जबकि जून महीने में पाम ऑयल 70 डॉलर सस्ता और जुलाई/अगस्त में 110-125 डॉलर सस्ता है। भारी छूट चलते के चलते पाम तेल में तेजी सीमित होगी। पाम तेल की कीमतों में इस सप्ताह 3-4 रुपए किलो की वृद्धि हुई लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुनाफावसूली के कारण उच्च स्तर पर टिके नहीं रह सकें। भारतीय बाजार में पाम तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजारों की दिशा से संचालित होती हैं। पाम तेल की कीमतें पहले ही निचले स्तर से बढ़ चुकी हैं, जिसे देखते हुए कृषि बाजार भाव सर्विस ने पिछली साप्ताहिक रिपोर्ट में मुनाफावसूली करने की सलाह दी थी। कारोबारियों को ताजा खरीदारी का इंतजार करना चाहिए क्योंकि पाम तेल की कीमत अब भी उच्च स्तर पर है और मौजूदा स्तर पर लाभ काम और रिस्क ज्यादा है।

तुवर साप्ताहिक रिपोर्ट

तुवर साप्ताहिक रिपोर्ट: पिछला सप्ताह सुरुवात सोमवार अकोला तुुवर नयी मारूति 8650 रुपये पर खुला था ओर शनिवार शाम 8700 रुपये पर बंद हुआ। बीते सप्ताह के दौरान तुवर ,तुवर दाल मे मांग निकलने से +50 रूपए कुन्टल गिरावट दर्ज हुआ,तुवर बाजार में कमोबेश सप्ताह के दौरान रही। मजबूती लेमन तुवर में सुधार और मंडियों में कमजोर आवक के कारण मजबूती तुवर दाल में भी जरुरत अनुसार डिमांड दर्ज की जा रही है। इसबीच उपभोक्ता मंत्रालय ने उद्योग से स्टॉक डिक्लेअर करने की बात कड़ाई से एक बार फिर दोहराई ताजा सर्कुलर में उपभोक्ता मंत्रालय ने वेयरहाउस वालों को आदेश जारी किया है। उनके गोदाम में दलहन (तुवर, उड़द और चना) है। तो डिक्लेअर करने करने के लिए कहा है। उम्मीद है सरकार के इस कदम से स्टॉक की सही सही जानकारी मिलने में आसानी हो जाएगी। ज्ञात हो की उपभोक्ता मंत्रालय के पास 28 मार्च तक लगभग 13 लाख टन तुवर स्टॉक घोषित हुआ था उपभोक्ता मंत्रालय तुवर/तुवर दाल में तेजी और संभावित जमाखोरी रोकने के सभी प्रयास कर रही है यदि भाव में तेजी जारी रहती है। सरकार स्टॉक लिमिट भी लगाने पर विचार कर सकती है; लेकिन यह आखरी विकल्प होगा। तेजी में मुनाफा सरकारी पोर्टल पर स्टॉक लेते रहे। जमाखोरी से बचे घोषित कर सरकार की सहायता करें। सरकार की सख्ती के बाद इम्पोर्टेड और देशी तुवर में बिकवाली बढ़ी है लेकिन सप्लाई डिमांड के बीच बड़ा अंतर होने के कारण तुवर में कमजोरी अधिक नहीं आ रहीं विशेषज्ञों के अनुसार प्रतीक्षा करना और देखना बेहतर क्योंकि सरकार बहुत सतर्क है। और मूल्य वृद्धि को रॉकने के लिए हर कदम उठाएगी। तुवर का भविष्य मजबूत (300-400) तुवर गिरावट और आये तो खरीदी करना बेहतर कृषि बाजार भाव सर्विस में हमारा प्रयास आपतक बाजार का सही फंडामेंटल पहुंचाना है।

चना साप्ताहिक रिपोर्ट

चना साप्ताहिक रिपोर्ट: पिछला सप्ताह सुरुवात सोमवार दिल्ली राजस्थान लाइन ओल्ड 5350 रुपये पर खुला था और शनिवार शाम ओल्ड चना 5210 रुपये पर बंद हुआ। बीते सप्ताह के दौरान चना तेज बिकवाली चनादाल बेसन में मांग कमजोर रहने से चना भाव में -140 रूपये कुन्टल की गिरावट दर्ज हुआ,चना में गिरावट का प्रमुख कारण नाफेड द्वारा तेजी से चना खरीदी करना। कमजोर उत्पादन के बाद यह कयास लगाया जा रहा था की भाव में सुधार होगा और नाफेड को कम चना मिलेगा। लेकिन नाफेड द्वारा अभी तक (6.47 लाख टन) चना खरीदी पिछले वर्ष से भी अच्छी है। नाफेड के पास (नया/पुराना) मिलाकर अब कुल स्टॉक 20 लाख टन के पार। नाफेड दवारा उम्मीद से अधिक तेज गति से चना खरीदे जाने के कारण सेंटीमेंट कमजोर पड़ा। नाफेड को सबसे अधिक चना महाराष्ट्र और गुजरात में मिल रहा है जहां भाव एमएसपी से निचे है। इसबीच उपभोक्ता मंत्रालय ने कारोबारियों को चौकाते चना का स्टॉक भी पोर्टल पर डिक्लेअर करने को कह दिया। अब चूँकि चना बाजार पूरी तरह से नाफेड और सरकार की गिरफ्त में जाते हुए नजर आ रहा ऐसे में भाव में उठापठक रह सकता है। चना में पूर्व में खरीदी की निति से हम अपने सुझाव से पीछे हट रहे और देखो और फिलहाल सिमित कारोबार की सलाह जारी करते हैं।

काबुली चना साप्ताहिक रिपोर्ट

काबुली चना साप्ताहिक रिपोर्ट: पिछला सप्ताह सुरुवात सोमवार इंदौर काबुली (40/42) 12400 रुपये पर खुला था और शनिवार शाम (40/42) 13000 रुपये पर बंद हुआ। बीते सप्ताह के दौरान चना काबुली मे मांग निकलने से +600 रूपये प्रति कुन्टल की मजबूत दर्ज हुआ,काबुली के दाम में पिछले सप्ताह अच्छी मजबूती रही। पिछले सप्ताह मंडी में काबुली 500-700 रुपए पिछले एक माह में लगभग 20% से अधिक बढ़ चुका है। कृषि बाजार भाव सर्विस में हमारा सुझाव है की इतनी जल्दी अच्छी तेजी के बाद मुनाफावसूली करना बेहतर। जानकारों के अनुसार निर्यात मांग और धीमी सप्लाई के कारण मार्च और अप्रैल में काबुली तेज हुआ है। फिलहाल हाल के निर्यात सोदे हुए थे। उनकी खरीदी लगभग लगभग पूरी हो चुकी है एक माह में 20% से अधिक तेजी और निर्यात की पूर्ति हो जाने के कारण काबुली बाजार की तेजी पर ब्रेक लग सकता है। हालांकि विदेशों में कमजोर फसल और स्टॉक को देखते हुए लम्बी अवधि फंडामेंटल मजबूत है। काबुली में फिलहाल कुछ करेक्शन का इंतज़ार करना बेहतर। कृषि बाजार भाव सर्विस इसलिए अब सिमित खरीदी की सलाह यदि काबुली कंटेनर (42-44) 13200 के ऊपर जाता है तो तेजी 14200 तक जारी रह सकता है। काबुली कंटेनर (42-44) यदि 11700 का मजबूत सपोर्ट तोड़े तभी इसमें अधिक मंदी की संभावना।

मसूर साप्ताहिक रिपोर्ट

मसूर साप्ताहिक रिपोर्ट: पिछला सप्ताह सुरुवात सोमवार कटनी मसूर 6175 रुपये पर खुला था ओर शनिवार 6050 रुपये पर बंद हुआ बीते सप्ताह के दोरान मसूर व मसूर दाल मे मांग कमजोर रहने से -125 रूपये प्रति कुंटल की गिरावट दर्ज हुआ,कमजोर मांग के कारण मसूर के दाम में दबाव दर्ज किया गया। दिल्ली जैसे प्रमुख केंद्रों पर मसूर 100 रुपये तक कमजोर। सप्लाई के मुकाबले मसूर की ग्राहकी प्रमुख खपत केंद्रों पर कमजोर बताई जा रही। हालांकि अंतराष्ट्रीय बाजार में मसूर के दाम में 3-4 सप्ताह में मजबूती दर्ज की गई। देश में इस वर्ष मसूर उत्पादन अच्छा है और विदेशी मसूर पर निर्भरत कुछ कम होने की उम्मीद। कृषि बाजार भाव सर्विस में हमारा अनुमान है की इस सीजन (मार्च-फरवरी 2023-24 ) में उत्पादन 15 लाख टन। देश में मसूर की खपत मांग प्रति वर्ष 18 लाख टन के आसपास रहने का अनुमान। मसूर में सप्लाई डिमांड में कोई ख़ास अंतर नहीं और विदेशों में उत्पादन काफी है। मसूर के वर्तमान सप्लाई डिमांड और ग्राहकी को देखते हुए सिमित खरीदी की सलाह

मटर साप्ताहिक रिपोर्ट

मटर साप्ताहिक रिपोर्ट: पिछले सप्ताह सुरुवात सोमवार कानपुर यूपी 4600/4750 रुपये पर खुला था ओर शनिवार शाम 4450/4650 रुपये पर बंद हुआ बीते सप्ताह के दौरान मटर मे बिकवाली बढ़ने व मांग कमजोर रहने से -100 रूपये प्रति कुन्टल गिरावट दर्ज हुआ,कानपुर बढ़े भावो पर मुनाफावसूली बिक्री बढ़ने व लिवाली कमजोर पड़ने से चालु साप्ताह के दौरान मटर की कीमतों में गिरावट का रुख रहा। मांग समान्य बनी रहने से कोंच मटर की कीमतों में भी इस साप्ताह ज्यादा हल चल नहीं देखी गयी और भाव सप्ताहांत में 4200/4400 रुपए प्रति क्विंटल पर रुके रहे। कमजोर उत्पादन को देख मटर की कीमतों में मजबूती बनी रहेगी। मटर दाल छिटपुट लिवाली बढ़ने से चालू साप्ताह के दौरान मटर दाल की कीमतों में 100 रुपए प्रति क्विंटल का सुधार दर्ज किया गया और इस सुधार के साथ भाव सप्तहांत में कानपुर 4700/4750 रुपए प्रति क्विंटल हो गयी। जैसे जैसे चना कीमतों पर दबाव बनता है वैसे वैसे मटर की कीमतों में भी बदलाव आता है। भविष्य में मटर बाजार में मौजूदा स्तर से 200-300 रुपए की तेजी मंदी जारी रह सकती है, विशेष तेजी के आसार कम।

उरई में हरी मटर की कीमतें जो शनिवार को 3460/5250 थी बुधवार को 3200/5100 रुपए आई। महोबा में सोवमार के मुकाबले हरी मटर की कीमतें 100/150 रुपए तक घटी।

उड़द साप्ताहिक रिपोर्ट

उड़द साप्ताहिक रिपोर्ट: पिछले सप्ताह सुरुवात सोमवार चेन्नई एसक्यू 8200 रुपये पर खुला था ओर शनिवार शाम एसक्यू 8200 रुपये पर बंद हुआ बीते सप्ताह के दौरान उठा पटक के साथ भाव स्थिर दर्ज हुआ,सख्ती के बाद उड़द बाजार में अनिश्चितता का माहौल बन रहा है पिछले सप्ताह उड़द में कारोबार कही स्थिर; तो कही तेज और नरम भी रहा। उपभोक्ता मंत्रालय उड़द का स्टॉक घोषित करने के लिए कारोबारी को कहा है। सरकार ने जमाखोरी से बचने और स्टॉक समय समय पर बेचने की बात कही सरकारी सख्ती के बाद गोदाम में पड़े स्टॉक निकल रहे लेकिन सामने रेडी में मांग कमजोर है। सरकारी सख्ती के बाद अब उड़द का आयात और कमजोर पड़ने की उम्मीद । आयातक उड़द इम्पोर्ट से बचेंगे इसका दो कारण (1) भविष्य की अनिश्चितता (2) पड़तल का नहीं सरकारी सख्ती के बाद उड़द में टेम्पररी गिरावट देखने को मिल सकता है। हालांकि जैसे जैसे भविष्य में चेन्नई के गोदाम से माल निकलते जायेंगे सप्लाई भी शार्ट बनने की उम्मीद। मंडियों में देशी उड़द की आवक नहीं के बराबर है और बर्मा पर निर्भरता अधिक है यदि बर्मा से आयात धीमा पड़ा तो घरेलु मांग की पूर्ति करना मुश्किल जिससे भाव फिर से उठ सकते हैं कृषि बाजार भाव सर्विस में बाजार का सही फंडामेंटल जानकारी आप तक पहुंचते है। कृषि बाजार भाव सर्विस में हमारी तरफ से आपको खरीदी,बेचने का सुझाव नहीं दिया जाता और लाभ / हानि के आप स्वयं उत्तरदाई है।

मूँग साप्ताहिक रिपोर्ट

मूँग साप्ताहिक रिपोर्ट: पिछला सप्ताह सुरुवात सोमवार दिल्ली बेस्ट मूंग राजस्थान लाईन 9300 रुपये पर खुला था ओर शनिवार शाम 9000 रूपये पर बंद हुआ बीते सप्ताह के दौरान मूंग में मांग कमजोर रहने से -300 रुपए प्रति कुन्टल का गिरावट दर्ज हुआ, मंडियों में मूंग की आवक कमजोर है और घरेलु मांग की पूर्ति नाफेड बिक्री से हो रही आवक काफी कम। देश में कई वर्षों में पहली बार देखा जा रहा है की मंडियों में मूंग की आवक लगभग सुख गई है। घरेलु ग्रीष्मकालीन मूंग की बोआई इस वर्ष 1 माह की देर से है लेकिन भाव को देखते हुए मूंग रकबा बढ़ सकता है। देश में मूंग की बोआई पिछले वर्ष के 3.98 लाख हेक्टेयर के मुकाबले जबरदस्त बढ़त के साथ अब तक 7.51 लाख हेक्टेयर में हुई है। क्लाइमेट चेंज और मौसम में हो रहे भारी उतार-चढ़ाव के कारण एग्री जिंसों के उत्पादन पर काफी विपरीत असर पड़ रहा है। यदि सरकार मूंग के आयात को नहीं खोलती है तो आने वाले दिनों में साबुत मूंग मै मजबूती आये। तो मजबूती में मूंग बैचकर निकल जाना सही रह सकता है आगे चलके नया मूंग बाजार मे आ जायेगा इसलिए गिरावट बढ सकती है!

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