सरसों फसल को पाले से बचाव के लिए के लिए करे ये 5 उपाय, जानिए कृषि एक्सपर्ट की राय 

लगातार 3 दिन से पाले की मार से सरसों की फसल चोपट हो गयी है, लेकिन समय रहते सरसों फसल को पाले से बचाव किया जा सकता है. गुरुवार और शुक्रवार की रात सरसों की फसल पर बर्फ की चादर बिछ गयी, जिससे किसान काफी चिंतित नजर आ रहे है. सरसों के आलावा टमाटर, आलू और मिर्च पर भी पाले की मार का गहरा असर देखने को मिला है.

नोट:- जिन किसान भाइयो की फसल पाले की मार से खराब हुई है और फसल का बिमा करवा रखा है. वो किसान जल्द से जल्द 72 घंटे के अंदर 1800-4196-116, 1800116515, टोल फ्री नम्बर और दूरभाष नम्बर 0141-4042995 पर सूचित अवश्य करें.

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पाले से फसलो में नुकसान

  • पौधे कमजोर तथा पीले पड़ने लगाते है
  • सरसों की नई कोपलें सुखना
  • कीड़ों का प्रकोप बढ़ना
  • फसल में तना गलन रोग
  • पत्ते पीले पड़ना
  • सरसों में सफेद रतुआ रोग
  • पौधों का विकास रुक जाता है
  • सरसों की पत्तियों में लार्वा बनना
  • टमाटर और आलू में झुलसा रोग की आशंका।

सरसों फसल को पाले से बचाव के सुरक्षा उपाय

  1. शाम के समय जब ठंडी हवा चलने की सम्भावना व्यक्त हो तो हवा की दिशा देखकर मेड पर कचरा जलाये. कचरा जलाते समय क्रूड तेल को भी डाल दे ताकि सरसों पर एक नयी परत बन जाये. इस विधि से 4-5 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ाया जा सकता है.
  2. सरसों की फसल में पानी की सिचाई हो सके तो फुब्बारे सेकरे क्योंकि नमी वाली भूमि में तापमान जल्दी से कम नहीं होता है. इससे पाले की मार की सम्भावना कम हो जाती है.
  3. सरसों की फसल पर गंधक के 0.1% घोल का छिड़काव (1 लीटर गंधक को 1000 लीटर) या दवा विक्रेता से परामर्श लेकर करना चाहिए। इसे 10-15 दिन तक सरसों फसल को पाले से बचाव किया सकता है.
  4. अभी सरसों फाल पर है इसमें फांजीसाइड और माइक्रो न्यूट्रीशियन का भी छिड़काव भी कर सकते है। इससे सरसों की फसल को काफी राहत मिलेगी। 
  5. सरसों में सल्फर का छिड़काव 20-30 ग्राम /15 लीटर के हिसाब से कर सकते है।
  6. मैंकोजेब 2.5 ग्राम दवा प्रति एकलीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।

पाला क्या होता है

आमतौर पर सर्दी के मोसम में कई बार मोश्म का तापमान हिमांक से नीचे चला जाता है। ऐसी स्थिति में जमीन से उत्पन्न होने वाला तापमान और हवा रुक जाती है। और जलवाष्प बिना द्रव रूप में परिवर्तित हुए सीधी सूक्ष्म हिमकणों में परिवर्तित हो जाती है।

हिमकण फसल को इतना ठंडा कर देती है जिससे फसल के तना पर सफेद बर्फ सी जम जाती है। तापमान गर्म न होने से फसली पौधो में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया एकदम कम हो पाती है। जिससे पोधे के फल और फूलो को पर्याप्त मात्रा में भोजन प्राप्त नही होता है। नतीजन दाने कमजोर और फूल गिरने लगते है।

पाला के प्रकार

पाला सरसों व अन्य फसलो को दो प्रकार से नष्ट करता है।

1. एडवेक्टिव

2. रेडिएटिव

एडवेक्टिव – जब ठंडी सर्द हवाये चलती है।  हवाओ की परत एक-डेढ़ किलोमीटर तक बिछ जाती है। इस स्थिति में आसमान में बादल हो या न हो दोनों ही परिस्थितियों में पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।

रेडिएटिव – जब असमान साफ हो और हवा एकदम शांत हो ऐसी स्थिति में जो पाला पड़कर फसलो को नुकसान पहुंचाता है।  उसे रेडिएटिव पाला कहते है।

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