अप्रैल मई में उगने वाली सब्जियां, ये सब्जियां जो अप्रैल मई में लगानी चाहिए

अप्रैल मई में उगने वाली सब्जियां: हमें ज्यादा पैदावार देने वाली सब्जी लगायेगे तो हम अच्छा मुनाफा कर सकते है! इस पोस्ट में हम अप्रैल और मई महीने में अच्छी पैदावार देने वाली सब्जियों जानकारी प्राप्त कर सकते है! आपको सब्जी के खेती करने की जानकारी नही है तो आप अच्छा मुनाफा नही ले सकते! सब्जी की खेती हमेशा ऑर्गनिक तरीके से किया जाये तो आप एक फसल (अप्रैल) मुनाफा देख सकते है! कुछ किसान भाई इसे जो समय के अनुसार सब्जी के बिज को चुनाव सही नही कर सकते है! जिस कारन से किसान को निराश होना पड़ता है! और ज्यादा मुनाफा भी नही कर सकते है, और कुछ किसान को गलत सब्जी से हानी भी होती है! लेकिन हम आपको मोषम के अनुसार सब्जी को चुनाव करते है तो आप अच्छी रिटर्न प्राप्त कर सकते है!

आप अप्रेल और मई महीने में सब्जी की खेती करना चाहते है तो अच्छा रिटर्न लेने चाहते है तो आप हमारी पोस्ट को आराम से पढ़े! इस पोस्ट में अप्रैल मई में उगने वाली सब्जियां की जानकारी साँझा करेंगे!

अप्रैल में उगने वाली सब्जियां

  1. मुली
  2. अदरक
  3. टमाटर
  4. भिण्डी
  5. ककड़ी
  6. खीरा

मई में उगने वाली सब्जियां

  1. बैंगन
  2. चोलाई
  3. ककड़ी
  4. लोकी
  5. शिमला मिर्च
  6. करेला

अच्छी कमाई वाली अप्रैल मई में उगने वाली सब्जियां

भारत में सब्जी का समय 12 महीनो तक चलता रहता है , लेकिन अच्छी आमदनी देने वाली सब्जिया का ज्ञान होना जरुरी है! हम आपको इस पोस्ट में 11 सब्जियों की जानकारी देंगे, पोस्ट के साथ लास्ट तक बने रहे!

मुली

मूली एक जड़ वाली सब्जी है जो ब्रैसिसेकी परिवार से संबंधित है, जिसमें गोभी, ब्रोकोली और फूलगोभी भी शामिल हैं। यह भारतीय व्यंजनों में एक लोकप्रिय सब्जी है और इसका उपयोग कई प्रकार के व्यंजनों जैसे सलाद, अचार और करी में किया जाता है।

मूली सफेद, काले, लाल और गुलाबी सहित विभिन्न किस्मों और रंगों में आती है। वे कैलोरी में कम और फाइबर, विटामिन, और विटामिन सी, पोटेशियम और फोलेट जैसे खनिजों में उच्च होते हैं। मूली अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए भी जानी जाती है और इसके स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं जैसे सूजन को कम करना, पाचन में सुधार करना और वजन घटाने को बढ़ावा देना।

मूली उगाना आसान है और वसंत या पतझड़ में लगाया जा सकता है। वे अच्छी तरह से जल निकासी वाली मिट्टी और पूर्ण सूर्य के संपर्क में रहना पसंद करते हैं। जड़ें आमतौर पर तब काटी जाती हैं जब वे युवा और कोमल होती हैं, इससे पहले कि वे सख्त और वुडी हो जाएं।

मूली उर्वरक व खाद की सही मात्रा

मूली के लिए उर्वरक और खाद्य की सही मात्रा निम्नलिखित हैं:

उर्वरक: मूली के लिए उर्वरक की सही मात्रा उसकी उगाई हुई मात्रा पर निर्भर करती है। आमतौर पर, मूली को उगाने से 15-20 दिन पहले 20-25 किलो नाइट्रोजन, 50-60 किलो फॉस्फोरस, और 50-60 किलो पोटैशियम प्रति हेक्टेयर के रूप में उपयोग किया जाता है। यदि मूली के उत्पादन में न्यूनतम खर्च चाहते हैं तो उर्वरक की संख्या को कम किया जा सकता है।

मूली आमतौर पर रोजाना के भोजन में शामिल किए जाने वाले होते हैं, इसलिए उन्हें सामान्य रूप से सप्ताह में 2-3 बार खाना चाहिए।

अदरक: अप्रैल मई में उगने वाली सब्जियां

अदरक एक फलीय सब्जी है जो जिंजिबर फैमिली से सम्बंधित होती है। यह एक स्वादिष्ट मसाला होता है जो खानों को स्वादिष्ट बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। अदरक का पौधा लगभग 3 फीट ऊँचा होता है और उसमें जड़ और पत्तियां होती हैं।

अदरक में कई पोषक तत्व होते हैं जैसे कि विटामिन सी, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फोलिक एसिड, कैल्शियम और जिंक। इसके अलावा, अदरक एंटीऑक्सिडेंट गुणों से भरपूर होता है, जो बीमारियों से लड़ने के लिए बहुत लाभदायक होते हैं।

अदरक को भुना, कच्चा, या उबला हुआ रूप में उपयोग किया जाता है। यह चाय, सब्जियां, चटनी, और भी कई व्यंजनों में उपयोग किया जाता है।

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किसान भाई को सब्जी के उपयोगी उर्वरक और खाद की मात्रा में डालना चाहिए! यदि आपके सब्जी की खेती करते समय कम या ज्यादा खाद का उपयोग किया तो आपको नुकसान भी हो सकता है! इसलिए अप्रैल मई में उगने वाली सब्जियां के साथ साथ प्रतेक समय वाली सब्जी के खाद का सही प्रयोग करना चाहिए!

अदरक उर्वरक व खाद की सही मात्रा

उर्वरक: अदरक के लिए उर्वरक की सही मात्रा उसकी उगाई हुई मात्रा पर निर्भर करती है। आमतौर पर, अदरक के उत्पादन के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम की सही मात्रा की आवश्यकता होती है। नियमित रूप से खाद्य विकास चक्र के दौरान अदरक के लिए नाइट्रोजन के 40-60 किलो तथा फॉस्फोरस और पोटैशियम के 80-100 किलो प्रति हेक्टेयर की मात्रा उपयोग की जाती है।

खाद: अदरक के लिए खाद की सही मात्रा मिट्टी के पोषक तत्वों के साथ संबंधित होती है। एक अच्छी गुणवत्ता की मिट्टी अदरक के लिए उपयुक्त होती है। उन्नत खेती तकनीकों में अदरक के लिए संशोधित खाद का उपयोग किया जाता है। इसमें नाइट्रोजन, पोटैशियम और फॉस्फोरस का सही संचय होता है। आमतौर पर, अदरक के लिए मिट्टी में नाइट्रोजन की 60-80 किलो तथा पोटैशियम और फॉस्फोरस की 80-100 किलो प्रति हेक्टेयर की मात्रा उपयोग की जा सकती है।

टमाटर: अप्रैल मई में उगने वाली सब्जियां

टमाटर को भारत में सलाद के रूप में काम किया जाता है, लेकिन सलाद के साथ साथ अन्य सब्जी में काम ले सकते है! टमाटर सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली सब्जी समूह में से एक है। इसका वैज्ञानिक नाम Solanum lycopersicum है। यह लाल रंग का होता है और एक गोल आकृति का होता है। इसकी खेती व्यापक रूप से की जाती है और यह विभिन्न व्यंजनों में उपयोग किया जाता है। टमाटर में कई पोषक तत्व होते हैं जैसे कि विटामिन सी, पोटैशियम, लाइकोपीन आदि जो हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।

टमाटर की खेती दुनिया भर में की जाती है और यह एक लाभदायक फसल है। टमाटर की खेती उष्णकटिबंधीय तथा उम्रकृत फसल है जो भारत, चीन, अमेरिका, तुर्की, इटली, ईरान, स्पेन, ब्राज़ील जैसे देशों में अधिक रूप से की जाती है।

टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी उच्च उपजाऊ मिट्टी होती है जो अच्छी निर्वाह व्यवस्था और समृद्ध वित्तीय रूप से प्रभावी खेती के लिए उपयुक्त होती है। टमाटर की खेती के लिए बीज, कीटनाशक, खाद और पानी की आवश्यकता होती है। भारत में टमाटर की खेती अप्रैल मई में की जाती है!

टमाटर की खेती में उचित देखभाल के साथ उन्नत तकनीकों का उपयोग करते हुए एक अच्छी उत्पादकता हासिल की जा सकती है।

टमाटर उर्वरक व खाद की सही मात्रा

टमाटर की उन्नत खेती के लिए उर्वरक और खाद की सही मात्रा अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। निम्नलिखित हैं टमाटर के लिए सुझाई गई उर्वरक और खाद की मात्राएं:

  1. नाइट्रोजन: टमाटर के लिए नाइट्रोजन युक्त खाद बहुत उपयोगी होती है। इससे टमाटर की विकास और उत्पादकता में सुधार होता है। उपयुक्त मात्रा में नाइट्रोजन सामग्री शामिल होने वाले खाद में नाइट्रोजन फॉर्म के अनुसार विभिन्न होते हैं। उदाहरण के लिए, नाइट्रोजन की फॉर्म के अनुसार उर्वरक में अमोनियम नाइट्रेट, यूरिया, नाइट्रोजन सल्फेट आदि हो सकते हैं।
  2. फॉस्फोरस: टमाटर की खेती में फॉस्फोरस युक्त खाद उपयोगी होती है क्योंकि इससे फसल की रूपांतरण व विकास के लिए आवश्यक होते हैं। फॉस्फोरस युक्त खाद का उपयोग बीज उगाही के समय और पौधों के विकास के समय करना चाहिए।
  3. पोटैशियम: टमाटर की खेती में पोटैशियम भी बहुत उपयोगी होता है

भिण्डी: अप्रैल मई में उगने वाली सब्जियां

भिंडी भारतीय मसालेदार व उपयोगी सब्जियों में से एक है। यह एक हरी सब्जी होती है जो कि पारंपरिक भारतीय खाने का हिस्सा है। इसे अंग्रेजी में “okra” या “ladyfinger” के नाम से भी जाना जाता है। भिंडी का स्वाद स्वादिष्ट होता है और यह विभिन्न व्यंजनों में उपयोग किया जाता है। भिण्डी को हम मार्च और अप्रैल में खेती कर सकते है! भंडी को अधिक गर्मी सहन नही होती है सामान्य तापमान में मार्च के साथ साथ अप्रैल मई में उगाई जा सकती है!

भिंडी में कई पोषक तत्व होते हैं, जैसे कि विटामिन सी, फोलेट, पोटैशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम। इसके अलावा, भिंडी में एक विशेष प्रकार का फाइबर होता है जो रक्त चाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।

भिंडी को अलग-अलग तरीकों से बनाया जा सकता है, जैसे कि भिंडी मसाला, भिंडी फ्राई, भिंडी कद्दू की सब्जी और भिंडी की समोसे। भिंडी की सब्जी को रोटी या चावल के साथ परोसा जा सकता है या फिर दाल-चावल के साथ खाया जा सकता है।

ककड़ी

ककड़ी (Cucumber) एक फलीय सब्जी है जो सलाद और बहुत सी व्यंजनों में उपयोग की जाती है। यह गर्मियों में बहुत ज्यादा उपलब्ध होती है और यह उष्णकटिबंधीय फलीय सब्जियों की श्रृंखला में आती है।

ककड़ी राजस्थान में वर्षा ऋतू में लगाई जाती है! कुछ स्थान पर अप्रैल मई में ककड़ी की खेती की जाती है! ककड़ी का सही समय अप्रैल मई होता है! क्योकि यह समय ठंड और गर्मी के बिच का समय होता है! ककड़ी की खेती करने समय आपको कुछ जानकारी होनी जरुरी है:-

  • मिट्टी: ककड़ी उन मिट्टियों में अच्छी तरह से उगती है जो अधिक मात्रा में मिट्टी में नमी रहती है और अच्छी ड्रेनेज की सुविधा होती है। इसके लिए लोम और फुंदी वाली मिट्टी उपयुक्त होती है।
  • जल आपूर्ति: ककड़ी की उन्नत खेती के लिए उचित जल आपूर्ति अत्यंत आवश्यक होती है। ककड़ी खेत में बरसात के दौरान पानी की अधिकता के कारण घाव, फंगस और अन्य समस्याएं आ सकती हैं। इसलिए, ककड़ी की खेती के लिए उचित जल आपूर्ति की सुनिश्चित करने के लिए नींबू के रस या आम्लीय खाद का उपयोग किया जाता है।
  • उर्वरक और खाद: कम्पोस्ट खाद एक अच्छा विकल्प होता है जो ककड़ी को सही मात्रा में पोषण प्रदान करता है। इस खाद को बनाने के लिए, बेस्ट वेस्ट, नारियल की छिलके, लकड़ी के बोर्ड, सब्जी और फल के छिलके, खाद्य पदार्थ आदि का उपयोग किया जाता है। वर्मी कम्पोस्ट: वर्मी कम्पोस्ट एक अन्य उपयोगी खाद है जो ककड़ी को सही मात्रा में पोषण प्रदान करता है। इसमें भी कम्पोस्ट खाद की तरह विभिन्न पदार्थों का उपयोग किया जाता है, लेकिन यह खाद मुख्य रूप से कीटों के संग्रह को बढ़ाता है। जीवाणु खाद: जीवाणु खाद भी एक अच्छा उपाय होता है जो ककड़ी को उपयुक्त मात्रा में पोषण प्रदान करता है। इसमें बैक्टीरिया, फंगस, फायदेमंद माइक्रोब आदि का उपयोग किया जाता है!

खीरा

खीरा उष्णकटिबंधीय देशों में उगाई जाती है। यह एक फल की तरह दिखता है, लेकिन यक एक सब्जी है।खीरे को आमतौर पर सलाद या सैंडविच में उपयोग किया जाता है, लेकिन इसे बनाने के विभिन्न तरीके होते हैं जैसे कि खीरे का अचार, खीरे का रायता, खीरे का सब्जी आदि। खीरा सेहत के लिए फायदेमंद होता है। यह हाईड्रेशन करने वाला फल होता है, जिससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती है। इसके अलावा, खीरे में विटामिन सी, फोलिक एसिड, और अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। खीरे में कम कैलोरी होती हैं, इसलिए वजन घटाने वालों के लिए यह एक अच्छा विकल्प होता है।

खीरे को ताजगी और गुणवत्ता से भरपूर बनाने के लिए उचित मात्रा में पोषण, पानी, उर्वरक, विशेष रूप से नाइट्रोजन आदि की आवश्यकता होती है। खीरे को सबसे अच्छी तरीके से उगाने के लिए, गर्मियों में वर्षा मौसम उचित होता है। खीरे को उगाने के लिए अनुकूल तापमान 25-30 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए। इस समय में, खीरे के पौधे को समान अंतराल पर पानी देना चाहिए और खाद को नियमित रूप से देना चाहिए। आप सामान्य रूप से खीरे के पौधे को मार्च-अप्रैल के बीच लगाने से शुरू कर सकते हैं।

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बैंगन

बैंगन सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली सब्जियों में से एक है। इसका वैज्ञानिक नाम Solanum melongena है और यह Solanaceae परिवार से सम्बन्धित है। इसकी जड़ और बीज भी औषधि के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।

बैंगन भारतीय खाने की परंपरा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यह विभिन्न व्यंजनों में उपयोग किया जाता है। इसे साधारणतया सब्जी के रूप में पकाया जाता है और इसे तले हुए या अंडे वाली सब्जी के रूप में भी पकाया जा सकता है।

बैंगन में कई पोषक तत्व शामिल होते हैं जैसे कि फोलेट, पोटैशियम, विटामिन सी, विटामिन क और विटामिन बी6। इसके अलावा यह मध्यम स्वाद वाला होता है और कम कैलोरी वाला भी होता है, जो इसे स्वस्थ खाद्य पदार्थ बनाता है।

बैंगन उगाने का सही समय मई महिना मन जाता है, आप इसे अप्रैल महीने में लास्ट तक लगा सकते है!

चोलाई (राजगीरा)

चोलाई का वैज्ञानिक नाम Amaranthus है और इसे अमेरिका, अफ्रीका और एशिया में विभिन्न रूपों में उगाया जाता है।

चोलाई के पत्ते सुपाच्य वसा, पोषक तत्व, विटामिन, खनिज और अन्य पोषण तत्वों से भरपूर होते हैं। इसमें विटामिन A, विटामिन सी, कैल्शियम, फोस्फोरस, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम और मैंगनीज जैसे पोषक तत्व होते हैं।

चोलाई को भुनकर या पकाकर खाया जाता है। यह थोड़ा तला हुआ, मसालेदार और स्वादिष्ट होता है। इसे एक साथ चावल, रोटी या दाल के साथ सर्विंग किया जा सकता है। चोलाई एक सुगम सब्जी है जो पोषण से भरपूर होती है और स्वस्थ खाद्य पदार्थों का एक अच्छा स्रोत होता है।

लौकी

लौकी जो गर्मियों में उगाई जाती है। इसे गोल आकार के और हरे रंग के फल की तरह देखा जा सकता है। लौकी को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे कि घीया, दूधी, तोरी, कद्दू की सब्जी आदि। लौकी कई तरह से खायी जा सकती है, जैसे कि दही वाली लौकी, लौकी की सब्जी, लौकी का हलवा आदि। लौकी में फाइबर, विटामिन सी, पोटेशियम और विभिन्न औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होती है! लौकी को किसान भाई मार्च में भी खेती कर सकते है इसके लिए मार्च, अप्रैल और मई महीनो से लगा सकते है!

शिमला मिर्च

शिमला मिर्च एक प्रकार की मीठी मिर्च होती है जो उत्तर भारत में उगाई जाती है। यह एक बड़ी, सुनहरी रंग की मिर्च होती है जिसका आकार छोटा या मध्यम होता है। इसका नाम शिमला के शहर के नाम पर रखा गया है जो हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह मीठा स्वाद और कम तीखापन वाली होती है, जिसकी वजह से इसे अक्सर सलाद और भुने हुए सब्जियों में उपयोग किया जाता है। शिमला मिर्च विटामिन सी, विटामिन ए, बी6, कैल्शियम और फोस्फोरस जैसे कई पोषक तत्वों से भरपूर होती है।

करेला

करेला सब्जी जो भारत और अन्य कुछ एशियाई देशों में उगाई जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम “Momordica charantia” है। करेले का रूप सर्पिल या बैणा होता है, जो इसे अन्य सब्जियों से अलग बनाता है। इसकी खास बात यह है कि यह अत्यधिक कड़वा होता है।

करेला में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे कि विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन बी6, फोलिक एसिड, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम आदि। करेला खाने से शुगर के लिए लाभदायक होता है, क्योंकि इसमें चाराग्रस्त होने वाले तत्व इंसुलिन का स्तर बढ़ाते हैं। इसके अलावा करेले का उपयोग अधिक मात्रा में शरीर के वजन को नियंत्रित करने, रक्तचाप को कम करने, डाइबिटीज, गैस, पेट के कीड़ों आदि के लिए किया जाता है।

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