होली का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है, लेकिन कुछ लोग इस बात को लेकर असमंजस में हैं। आखिर होली कब है? भारत के पंडित जितेंद्र शास्त्री से जानकर हम आपकी इस उलझन को दूर करने में आपकी मदद करेंगे। आपको बताएंगे कि 7 और 8 मार्च को होली की सही तारीख कौन सी है और क्यों?
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होली का पर्व मनाया जाता है। पूर्णिमा को दहन मनाया जाता है और अगले दिन रंगों का त्योहार मनाया जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि होली 7 मार्च को है या 8 मार्च-
होली कब है? 7 और 8 मार्च में सही तारीख
होली की शंका को लेकर जब हमने पंडित जितेंद्र शास्त्री से बात की तो उन्होंने बताया कि इस साल होली एक दिन नहीं बल्कि दो दिन मनाई जाएगी। होली का त्योहार 2023 में 7 मार्च मंगलवार से शुरू होगा और 8 मार्च बुधवार को मनाया जाएगा।
कारण:- हिंदू पंचांग के अनुसार होली से 8 दिन पहले होलाष्टक मनाया जाता है। इस बार यह 28 फरवरी से शुरू हो रहा है। इसलिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 7 मार्च मंगलवार को शाम 06 बजकर 24 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक है.
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
हिन्दू धर्म के वास्तुविदों के अनुसार वर्ष 2023 में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 7 मार्च दिन मंगलवार को फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा है। होलिका दहन का सही समय शाम 06:24 बजे से रात 08:51 बजे तक है, जो 2 घंटे 27 मिनट तक रहेगा।पंडित जितेन्द्र के अनुसार अबकी बार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन होली का पर्व मनाया जाएगा.
महत्व
सनातन धर्म में होलिका दहन का बहुत ही विशेष महत्व है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे जिन्हें भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप के बुरे इरादों से बचाया था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को विशेष वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि से कोई हानि नहीं हो सकती थी।
होलिका दहन पूजा विधि 2023
- जहाँ होलिका जलाने के लिए लकड़ी इक्कठा करे वहां पर पूजन ना करें.
- होलिका के लिए कंडे और लकडियो को सफेद धागे या मौली (कच्चा सुत) से तीन या सात बार लपेटें.
- उस पर शुद्ध जल, कुमकुम और फूल छिड़काव करके पूजा करें.
- पूजा पूरी होने के बाद शाम को निर्धारित समय पर होलिका दहन करें.
- बुराई पर अच्छाई की जित का जश्न मनाये.
- होलिका पूजा क्रेक सभी के घर में समृद्धि और धन की कामना करें.
होली के अलग-अलग रंगो का महत्व
होली पर्व पर फागोत्सव के लिए लोग विभिन्न रंगो से होली का पर्व मनाते है. ये विविध रंग अलग अलग महत्व लिए होते है. देखिये महत्व-
- लाल रंग को उर्वरता और प्रेम का प्रतीक माना जाता है
- हरा रंग को विकास के प्रतिनिधित्व और नयी शुरवात का प्रतीक माना जाता है.
- पिला रंग सुख और समृद्धि के लिए जाना जाता है.
- नीला रंग परमात्मा और आकाश से सम्बन्ध रखता है.
सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार यह भी माना जाता है कि अलग-अलग रंगों का मानव शरीर और मन पर उपचारात्मक प्रभाव पड़ता है। रंगों की होली खेलने से व्यक्ति के तनाव, चिंता और अवसाद पर नियंत्रण रहता है, आत्मिक शांति मिलती है और मनुष्य का एक दुसरे के प्रति लगाव बढ़ता है।
होली 2023 को यादगार कैसे बनाये
हिन्दू सनातन धर्म में इस महापर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। लोग आपसी भेदभाव को भुलाकर एक दूसरे को बधाई देते हैं और तरक्की की कामना करते हैं। होली को खास बनाने के लिए अपने इष्ट मित्रों और अन्य प्रियजनों को अपने घर आमंत्रित करें, हनुमानजी सहित अपने कुलदेवता की पूजा करें।
सभी एक साथ बैठकर खाना खाए. जीवन में सुख-समृद्धि के लिए हर्षोउल्लास से होली क त्यौहार मनाये. होली खेलने से पहले गौरी पुत्र गणेश जी उपासना करना न भूलें। ऐसा करने से आपको धन-धान्य की प्राप्ति होती है और जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती हैं।
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भारत में होली अलग-अलग तरह से कैसे मनाई जाती है
भारत में अलग-अलग जगहों पर होली मनाने के रीति-रिवाज अलग-अलग हैं। उत्तर भारत में होली के लोग फगोत्सव पर जमकर रंग बिखेरते हैं। वे ढोलक और अन्य पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाकर नृत्य करते हैं। पश्चिमी भारत में लोग रात में अलाव जलाकर इकट्ठा होते हैं और चारों तरफ नाच-गाकर अपनी खुशी जाहिर करते हैं।
दक्षिण भारत में होली के दिन लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और ‘पनकम’ नामक एक विशेष पेय तैयार करते हैं। पूर्वी भारत में होली के दिन रंग-बिरंगे रंगों से कलाकर्तिया बनाते है। और घर के सामने विशेष सजावट करते है। इस तरह भारत में इस पर्व के प्रति लोगों का उत्साह देखते ही बनता है।
होली को किन-किन नामो से जाना जाता है?
होलिका दहन वाले दिन को लोग होली कहते है. दहन के अगले दिन लोग रंगो से एक दुसरे पर बिखेरकर खुशिया बांटते है जिसे धुलंडी, फगवा, फागोत्सव, रंगभारियो आदि नमो से बुलाते है. इस दिन लोग अपने घरो में मिठाई, हलवा, नमकीन, और फल आदि से तरह तरह पकवान बनाकर खाते है और एक दुसरे को खिलाते है. लोग एक दुसरे के घरो में जाकर आपसी मतभेदों को भूलते हुए जीवन की खुशियों का जश्न मनाते हैं.
होली क्यों मनाई जाती है?
हिरण्यकश्यप ने बुरी नीयत से होलिका की गोद में बैठाकर प्रह्लाद को जलाने की कोशिश की लेकिन जलती लपटों में प्रह्लाद को कोई नुकसान नहीं हुआ और होलिका आग की लपटों में जलकर राख हो गई।
इसी परम्परा को निभाते हुए आज लोग लकड़ी, कंडे, और अन्य संसाधनो से होलिका का प्रतीक मानते हुए एक जगह इक्कठा करते है और बिच में हरी लकड़ी के डंडे को प्रहलाद का प्रतीक मानते हुए जलाते है. हरा होने के कारण डंडा (प्रहलाद) बच जाता है और सुखी लकड़ी ( होलिका ) जल जाती है.
होली कब है? के बारे में लोगो द्वारा पूछे जाने वाले प्रशन (FAQ)
होली कब है?
होली 2023 8 मार्च, वार- बुधवार को है.
होलिका दहन 2023 तिथि क्या है?
7 मार्च, मंगलवार, 2023
होलिका दहन 2023 का सही समय क्या है?
होलिका दहन का मुहूर्त 7 मार्च वार मंगलवार को शाम 06:24 PM से 08:51 PM को शुभ मुहूर्त है
होलिका दहन की अवधि का समय कितना है?
वास्तुविदों के अनुसार दहन की अवधि 2 घंटे 27 मिनट है.
साल 2023 में फाल्गुन पूर्णिमा तिथि प्रारंभ का समय कितना है?
2023 में फाल्गुन पूर्णिमा 6मार्च 2023 को 04:17 अपराह्न से है.
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि समाप्त कितने बजे होगी?
फाल्गुन पूर्णिमा 7 मार्च 2023 को 06:09 अपराह्न पर समाप्त होगी.