नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कुष्मांडा की पूजा, जाने पूर्ण विधि

एन दिनों हिन्दू धर्म में वर्ष की शुभकामनाये के साथ नवरात्रि का आज चोथा दिन है! नवरात्रि के चोथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है! माता कूष्मांडा के बह्मंड को उत्पन किया था! जिस माँ कूष्मांडा की पूजा की जाती है! माता की उपासना से सिद्धियों में निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है। और साथ में माता कूष्मांडा को अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। कूष्मांडा का अर्थ है कुम्हड़े। मां को बलि में कुम्हड़े की बलि सबसे ज्यादा पसंद है। इसलिए माता कूष्मांडा देवी कहा जाता है।

नवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो समूचे भारत में मनाया जाता है। यह त्योहार दो शब्दों से मिलकर बना है – “नव” जो नौ का अर्थ होता है और “रात्रि” जो रात का अर्थ होता है। यह त्योहार नौ दिनों तक चलता है और इस अवधि में नौ देवियों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य नवदुर्गाओं की पूजा करना है जो शक्ति की नौ रूप हैं। इन नौ रूपों को नवदुर्गा कहा जाता है और ये हैं – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।

मां का स्वरुप जाने

माता कूष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं, जिसमे एक कमंडल, धनुष-बाण, कमल पुष्प, शंख, चक्र, गदा और सभी सिद्धियों को देने वाली जपमाला धारण किये है। मांता ने अपने हाथ में अमृत कलश लिए भी होती है। माता कुष्मांडा सावरी सिंह है और माता की भक्ति से आयु, यश और आरोग्य की वृद्धि होती है।

माता को खुस करने का मन्त्र

या देवि सर्वभूतेषू सृष्टि रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

माता कुष्मांडा की करे पूजा

माता को मालपुए का भोग लगाकर दुर्गा मंदिर के ब्राह्मणों को माता का प्रशाद देना चाहिए! इसके बदले में भगतो को ज्ञान की प्राप्ति करती है! इसके साथ भगतो को बुद्धि और कौशल का विकास होता है। माता कुष्मांडा लाल रंग ज्यादा पसंद है! तो माता के चरणों में लाल वस्त्र, लाल पुष्प, लाल चूड़ी भी अर्पित करना चाहिए। माता कुष्मांडा देवी योग-ध्यान की देवी भी हैं। कुष्मांडा देवी का यह रूप अन्नपूर्णा का भी है। माता मन को शांत करती हैं।

नवरात्रि के 9 दिन किस रंग के कपड़े पहने

नवरात्रि के दौरान प्रत्येक दिन कोई विशेष रंग होता है जिसे भगवान या देवी के श्रद्धालु भक्तों द्वारा पूजा जाता है। निम्नलिखित हैं नवरात्रि के प्रत्येक दिन के रंग और उनसे जुड़े धर्मिक महत्व:

  1. पहला दिन (प्रथमा) – श्वेत वर्ण (शुभता और पवित्रता का प्रतीक)
  2. दूसरा दिन (द्वितीया) – पीले वर्ण (विविध भक्ति और उत्साह का प्रतीक)
  3. तीसरा दिन (तृतीया) – लाल वर्ण (तपस्या और सौम्यता का प्रतीक)
  4. चौथा दिन (चतुर्थी) – वर्ण का विविधता (गौरी और विष्णु का ध्यान करते हुए)
  5. पांचवा दिन (पंचमी) – नीला वर्ण (महाकाली का ध्यान करते हुए)
  6. छठवां दिन (षष्ठी) – पीले वर्ण (महालक्ष्मी का ध्यान करते हुए)
  7. सातवां दिन (सप्तमी) – कमल रंग (ब्रह्माण्ड की सृष्टि का प्रतीक)
  8. आठवां दिन (अष्टमी) – राधा-कृष्ण जैसे विविध रंगों के कपड़े (विविध देवी और देवताओं का ध्यान करते हुए)
  9. नवमी दिन (नवमी) – बैगनिया वर्ण (माता रानी को बैगनी रंग बेहद पसंद आता है)

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